सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर, 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने एक भू-स्वामी को 20 करोड़ रुपये से अधिक के बढ़े हुए मुआवजे को बहाल किया, जिनकी संपत्ति का उपयोग नासिक नगर निगम द्वारा दशकों तक औपचारिक रूप से अधिग्रहित करने से पहले किया गया था। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने 1972 से किराये के मुआवजे के एक बड़े दावे को खारिज करते हुए, भू-स्वामी को भूमि की खरीद और मुआवजे के अंतिम भुगतान के बीच की अवधि के लिए अंतःकालीन लाभ (mesne profits) के रूप में ब्याज देने के लिए अपने न्यायसंगत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया।

यह मामला, प्रद्युम्न मुकुंद कोकिल बनाम नासिक नगर निगम और अन्य , 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि के सही मूल्यांकन और एक अधिग्रहण प्राधिकरण द्वारा अनधिकृत पूर्व कब्जे के लिए मुआव

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