इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है कि बचाव पक्ष के लिए सबूत इकट्ठा करना और बचाव की रणनीति तैयार करना किसी आरोपी को जमानत देने का एक वैध आधार हो सकता है, खासकर उस स्तर पर जब अभियोजन पक्ष के साक्ष्य समाप्त हो गए हों या समाप्त होने वाले हों। न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने आवेदक विकास कंजड़ को जमानत देते हुए ऐसे मामलों में न्यायिक विवेक का मार्गदर्शन करने के लिए व्यापक मानदंड भी निर्धारित किए।

अदालत के समक्ष, दूसरी जमानत अर्जियों के एक समूह से उत्पन्न, केंद्रीय कानूनी मुद्दा यह था: “क्या बचाव पक्ष के साक्ष्य इकट्ठा करना, बचाव की रणनीति तैयार करना और मुकदमे में प्रभावी ढंग से बचाव करना जमानत देने का आधार हो सकता है?”

मामले की पृष्ठभूमि

यह फैसला कई संबंधित जमानत याचिकाओं के संदर्भ में दिया गया, जहां अभियोजन पक्ष के साक्ष्य या तो पूरे हो चुके थे या पूरे होने वाले

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