इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2008 के रामपुर CRPF ग्रुप सेंटर आतंकी हमले के मामले में पांच लोगों को हत्या, आतंकवाद (UAPA) और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने (IPC) के आरोपों से बरी कर दिया है। इन पांच में से चार लोगों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष “गंभीर खामियों और जांच में चूक” के कारण “मुख्य अपराध को संदेह से परे साबित करने में बुरी तरह विफल” रहा।

अदालत ने मुख्य हमले के आरोपों से बरी करते हुए, सभी पांचों अपीलकर्ताओं—मोहम्मद शरीफ @ सुहैल, सबाउद्दीन @ शहाबुद्दीन, इमरान शहजाद, मोहम्मद फारूक, और जंग बहादुर खान @ बाबा खान—को आर्म्स एक्ट की धारा 25(1-ए) के तहत दोषी ठहराया। उन्हें यह सजा उनकी गिरफ्तारी के समय उनसे बरामद AK-47 राइफलों और हैंड ग्रेनेड जैसे “प्रतिबंधित हथियारों को सचेत रूप स

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