सुप्रीम कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक विवाह को भंग कर दिया है। इस मामले में पति-पत्नी पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से अलग रह रहे थे।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने क्रिमिनल अपील संख्या 1595 ऑफ 2025 पर सुनवाई करते हुए यह माना कि यह रिश्ता “पूरी तरह से टूट चुका है” और “एक ऐसे कानूनी रिश्ते को बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है जिसका कोई अर्थ नहीं बचा है।”
कोर्ट ने पति (प्रतिवादी) को 1,00,00,000/- (एक करोड़ रुपये) की राशि स्थायी गुजारा भत्ता (permanent alimony) के तौर पर देने का आदेश दिया है। इस भुगतान के साथ ही, दोनों पक्षों के बीच इस शादी से उत्पन्न होने वाले सभी दीवानी और आपराधिक मामले “रद्द और बंद” (quashed and closed) माने जाएंगे।
मामले की पृष्ठभूमि
यह अपील 3 जुलाई 2023 को राजस्थान हाईकोर्ट, ज

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