इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अगर किसी व्यक्ति को नाबालिग रहते हुए किसी अपराध में दोषी ठहराया गया हो, तो उसे सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य नहीं माना जा सकता। अदालत ने कहा कि किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 की धारा 19 के तहत ऐसी सजा से कोई अयोग्यता नहीं जुड़ती।

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने यह निर्णय पुंडरीकाक्ष की याचिका पर सुनाते हुए दिया। याचिकाकर्ता जवाहर नवोदय विद्यालय, गौरीगंज (अमेठी) में स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत थे, जिन्हें कथित रूप से आपराधिक पृष्ठभूमि छिपाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने वर्ष 2019 में शिक्षक पद के लिए आवेदन किया था और चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया गया। हालांकि, दो महीने बाद यह शिकायत दर्ज कराई गई कि उन्होंने

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