कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, बलात्कार (धारा 376 आईपीसी) और धोखाधड़ी (धारा 415 आईपीसी) के लिए एक व्यक्ति को दोषी ठहराने वाले निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया है। अपील को स्वीकार करते हुए, हाईकोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष बलात्कार का आरोप स्थापित करने में विफल रहा और निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच संबंध ज़बरदस्ती नहीं, बल्कि सहमतिपूर्ण थे।
न्यायमूर्ति प्रसेनजित बिस्वास ने पाया कि घटना के समय शिकायतकर्ता “20 वर्ष से अधिक” आयु की एक बालिग महिला थी। इसके अलावा, जिरह के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा “लंबे समय तक शारीरिक संबंध” बनाए रखने की बात स्वीकार करना, जबरन यौन संबंध के सिद्धांत को नकारता है। कोर्ट ने मामले में मेडिकल सबूतों की पूर्ण कमी और प्रमुख गवाहों से पूछताछ करने में अभियोजन पक्ष की विफलता को “गंभीर खामियां” माना।
मामले की पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता ने

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