सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी कार्यालयों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (BAS) की शुरुआत सभी हितधारकों के हित में की गई है और केवल इसलिए कि कर्मचारियों से पहले परामर्श नहीं लिया गया, यह प्रणाली गैरकानूनी नहीं ठहराई जा सकती।
न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वरले की पीठ ने केंद्र सरकार की उस याचिका को मंजूर कर लिया जो ओडिशा हाईकोर्ट के 21 अगस्त 2014 के फैसले को चुनौती देती थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि कार्यालय में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू करने वाले परिपत्र कर्मचारियों से पूर्व परामर्श के बिना जारी किए गए और यह प्रक्रिया केंद्र सरकार के कार्यालयों के प्रशासनिक नियमों के अनुरूप नहीं थी।
शीर्ष अदालत ने अपने 29 अक्टूबर के आदेश में कहा:
“जब बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम सभी हितधारकों के लाभ के लिए लागू किया गया है, तो केवल इस आधार पर कि कर्मचारियों से पहले परामर्श न

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