इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैदियों की जमानत पर रिहाई में होने वाली देरी के “दुष्प्रभाव” (menace) को समाप्त करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार को जिला अदालत परिसरों में ही ज़मानतदारों का इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन (electronic surety verification) स्थापित करने का निर्देश दिया है। साथ ही, यह भी अनिवार्य कर दिया है कि अधिवक्ता अपनी जमानत याचिकाओं में आवेदक के जेल का सटीक विवरण दें, ताकि रिहाई के आदेशों को तुरंत संप्रेषित किया जा सके।

यह आदेश कोर्ट ने सोहराब उर्फ सोराब अली बनाम यू.पी. राज्य (आपराधिक विविध जमानत याचिका संख्या 38294/2025) नामक एक अपहरण के मामले में आवेदक को जमानत देते समय पारित किए। कोर्ट ने यह जमानत मामले के तथ्यों, विशेषकर पीड़िता के बयान के आधार पर दी।

जमानत आवेदन की पृष्ठभूमि

आवेदक, सोहराब उर्फ सोरा

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