भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2025 को दिए एक फैसले में, अपनी असाधारण क्यूरेटिव (उपचारात्मक) अधिकारिता का प्रयोग करते हुए सुरेंद्र कोली को निठारी सीरियल मर्डर मामलों में से एक (रिम्पा हलदर केस) में बरी कर दिया है। कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन (Crl.) No. @Diary No. 49297 of 2025 में अपने ही पिछले फैसलों को रद्द करते हुए यह माना कि इस मामले में “न्याय की घोर विफलता” (manifest miscarriage of justice) हुई है।
मुख्य कानूनी मुद्दा यह था कि इस मामले में कोली की सजा ठीक उन्हीं सबूतों—एक इकबालिया बयान और कथित बरामदगी—पर आधारित थी, जिन्हें बारह अन्य साथी मामलों में “कानूनी रूप से अविश्वसनीय” और “अस्वीकार्य” मानते हुए खारिज कर दिया गया था, और उन मामलों में कोली को बरी कर दिया गया था।
यह फैसला चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच द्वारा सुनाया गया। जस्टिस न

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