भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) का निपटारा करते हुए, इस कानूनी सिद्धांत की पुष्टि की है कि एक हाईकोर्ट की कार्यवाही का रिकॉर्ड निर्णायक होता है और अपील में पक्षकारों द्वारा उसका खंडन नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह माना कि यदि कोई पक्ष यह दावा करता है कि उनके वकील ने “अनधिकृत” रूप से कोई रियायत दी है, तो उसका उचित उपाय सुप्रीम कोर्ट में रिकॉर्ड को चुनौती देना नहीं, बल्कि खुद हाईकोर्ट के समक्ष एक उपयुक्त आवेदन दायर करना है।
यह मामला, सविता बनाम सत्यभान दीक्षित , 7 नवंबर, 2025 को न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता, सविता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 15 सितंबर, 2025 के अंतिम निर्णय और आदेश को चुनौती देते हुए स्पेशल लीव टू अपील (सी) संख्या 31322/2025 दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट के आ

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