दिल्ली हाईकोर्ट ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (एनआई एक्ट) की धारा 138 के तहत एक प्रॉपर्टी डीलर की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति किसी समझौता समझौते (Settlement Agreement) के तहत अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अपने निजी खाते से चेक जारी करता है, तो वह यह कहकर आपराधिक दायित्व से नहीं बच सकता कि उक्त देनदारी किसी ‘सोसायटी’ या संस्था की थी।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने ट्रायल कोर्ट और सेशंस कोर्ट के फैसलों को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता की पुनरीक्षण याचिका (Revision Petition) खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक साल की साधारण कैद की सजा काटने और 9,72,000 रुपये का जुर्माना भरने के लिए तीन सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का निर्देश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 6 नवंबर, 1987 के एक संपत्ति विवाद से जुड़ा है। याचिकाकर्ता राजेंद्र सिंह , जो पेशे स

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