सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि देश में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की सफलता का एक प्रमुख कारण एक केंद्रीकृत निगरानी प्राधिकरण की मौजूदगी है, और इसी तरह की संस्थागत व्यवस्था ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के संरक्षण के लिए भी प्रभावी हो सकती है। अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब उसने राजस्थान और गुजरात में गंभीर रूप से संकटग्रस्त इस पक्षी की सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

जस्टिस पी. एस. नरसिंहा और जस्टिस ए. एस. चंदुरकर की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें GIB की तेजी से घटती संख्या और बिजली की ओवरहेड लाइनों से होने वाली मौतों पर चिंता जताई गई है।

पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या GIB के संरक्षण के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) जैसी कोई समर्पित संस्था बनाई गई है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि ऐसी कोई प्राधिकरण नहीं है, हालांकि सरकार ‘प्र

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