बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की 20 नवंबर की अधिसूचना पर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से पहले विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। यह अधिसूचना राज्य के विभिन्न प्रतिष्ठानों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को हर महीने एक दिन का सवेतन मासिक धर्म अवकाश (Paid Menstrual Leave) पाने का अधिकार देती है।
जस्टिस ज्योति मुलिमानी ने मामले की सुनवाई को 20 जनवरी, 2026 तक के लिए स्थगित कर दिया और पॉलिसी के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का कोई भी निर्देश जारी नहीं किया। इसका अर्थ है कि फिलहाल यह ‘मेंस्ट्रुअल लीव’ का आदेश प्रभावी रहेगा।
यह निर्णय मंगलवार को हुए नाटकीय घटनाक्रम के बाद आया है, जब कोर्ट ने सुबह के सत्र में अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) के हस्तक्षेप के बाद उसी दिन दोपहर में अपना आदेश वापस (रिकॉल) ले लिया था।
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