सेवा कानून पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी कर्मचारी की पदोन्नति उस तारीख से प्रभावी होती है जिस दिन पदोन्नति का आदेश जारी किया जाता है और पदभार ग्रहण किया जाता है, न कि उस तारीख से जब कोई रिक्ति उत्पन्न होती है या विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) सिफारिश करती है। अदालत ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी को काल्पनिक पदोन्नति (notional promotion) दी गई थी।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति मधु जैन की खंडपीठ भारत संघ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के एक सेवानिवृत्त उप महानिदेशक रमेश चंद्र शुक्ला को काल्पनिक पदोन्नति देने के कैट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द करते हुए इस कानूनी सिद्धांत को पुष्ट किया कि