भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें एक पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह और अन्य के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए धोखाधड़ी से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के आरोप में चल रही आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक “मिनी ट्रायल” किया था और उसके निष्कर्ष “अनुमानित और स्पष्ट रूप से गलत” थे। कोर्ट ने निचली अदालत को मामले की सुनवाई आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला कोमल प्रसाद शाक्य द्वारा गुना के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष दायर एक आपराधिक शिकायत से शुरू हुआ था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि राजेंद्र सिंह ने अपने पिता अमरीक सिंह और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक झूठा जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की साजिश रच

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