सुप्रीम कोर्ट ने सेवा विधिशास्त्र पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी वकील द्वारा अदालत के समक्ष कानून के किसी बिंदु पर गलत तरीके से कोई रियायत दी जाती है, तो वह उसके मुवक्किल पर बाध्यकारी नहीं है, खासकर तब जब यह सांविधिक भर्ती नियमों का उल्लंघन करती हो। जस्टिस पमिदिघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने इस स्थापित कानूनी सिद्धांत को भी दोहराया कि प्रतीक्षा सूची (वेटलिस्ट) में शामिल उम्मीदवार को नियुक्ति का कोई निहित अधिकार नहीं होता है, और सभी विज्ञापित पदों के भर जाने के बाद ऐसा कोई भी अधिकार स्वतः समाप्त हो जाता है।

इस फैसले के साथ, कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार और ऑल इंडिया रेडियो को 1997 की भर्ती प्रक्रिया के एक प्रतीक्षा-सूचीबद्ध उम्मीदवार को नौकरी देने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश केंद्रीय प्रशा

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