झारखंड हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर, 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में एक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर को तलाक की डिक्री प्रदान की। इस फैसले ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया जिसमें मैनेजर की तलाक की अर्जी खारिज कर दी गई थी। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति राजेश कुमार की खंडपीठ ने पति को अपनी पहली पत्नी और बेटे को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में कुल 60,000 रुपये प्रति माह देने का निर्देश दिया। पति ने यह दूसरी शादी तलाक की कार्यवाही के दौरान ही कर ली थी।
कोर्ट ने पति द्वारा फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 की धारा 19(1) के तहत दायर अपील को स्वीकार कर लिया। यह अपील बोकारो के प्रिंसिपल जज, फैमिली कोर्ट के 22 फरवरी, 2023 के उस फैसले के खिलाफ थी, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) और (ib) के तहत दायर तलाक के मुकदमे को खारिज कर दिया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता-प