राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act), 1881 की धारा 138 के तहत चेक अनादरण के एक मामले में याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि और सज़ा को रद्द कर दिया है। यह निर्णय दोनों पक्षों के बीच हुए एक समझौते के आधार पर लिया गया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को बरी करते हुए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित संशोधित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, चेक राशि का 7.5% जुर्माना लगाया है।

यह फैसला न्यायमूर्ति मुकेश राजपुरोहित ने शमसुद्दीन बनाम राजस्थान राज्य व अन्य के मामले में सुनाया।

मामले की पृष्ठभूमि

मौजूदा आपराधिक पुनरीक्षण याचिका शमसुद्दीन द्वारा निचली अदालतों के दो फैसलों को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। पहला फैसला 09.01.2023 को विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट मामले), संख्या-4, उदयपुर द्वारा सुनाया गया था, जिसमें याचिकाकर्ता को धारा 138 के तहत दोष

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