जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर, 2025 को सुनाए गए एक फैसले में एक समीक्षा याचिका (RP No.60/2024) को खारिज कर दिया है न्यायमूर्ति जावेद इकबाल वानी और न्यायमूर्ति राहुल भारती की खंडपीठ ने अपने पूर्व के फैसले की पुष्टि की, जिसने अब्दुल हक बंडे और एक अन्य द्वारा दायर रिट याचिका को मौलिक आधार पर खारिज कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं ने अदालत से “भौतिक तथ्य” (material facts) छिपाए थे।

यह मामला असर-ए-शरीफ, हजरतबल में आने वाले ‘नज़राना-नियाज़’ (चढ़ावा) में हिस्सेदारी के याचिकाकर्ताओं के दावे से संबंधित है।

मुकदमे की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ताओं ने शुरुआत में एक रिट याचिका (WP(C) No.148/2023) दायर की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा जारी 20.09.2022 के एक आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। इस आदेश ने चढ़ावे पर उनके दावे को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता

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