दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 अक्टूबर, 2025 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत आरोपी एक व्यक्ति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

जस्टिस स्वर्णा कांता शर्मा ने (जमानत याचिका संख्या 4008/2025) मामले की अध्यक्षता करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि आरोपों की गंभीर प्रकृति, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से प्रथम दृष्टया पुष्टि और आवेदक के जांच में शामिल होने में विफलता को देखते हुए, अग्रिम जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है।

आवेदक, संगम विहार पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर संख्या 302/2025 के तहत अग्रिम जमानत की मांग कर रहा था। यह एफआईआर बीएनएस की धारा 64(2) (बलात्कार), 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 127(2) (गलत तरीके से बंधक बनाना), और 351 (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 (पेनेट्रेटिव यौन हमले के लिए सजा)

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