दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह शीघ्र ही ऐसे मानदंड तय करे, जिनके तहत श्रवण-बाधित खिलाड़ी भी मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार 2025 के लिए पात्र माने जा सकें। अदालत ने कहा कि मौजूदा नियमों में ऐसे खिलाड़ियों को बाहर रखना भेदभावपूर्ण है, क्योंकि ये केवल शारीरिक या चाल-ढाल संबंधी दिव्यांग खिलाड़ियों (पैरा एथलीट्स) तक सीमित हैं।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 किसी भी तरह के भेदभाव की अनुमति नहीं देता। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पदक विजेताओं को मिलने वाली नकद पुरस्कार योजना में भी बहरे खिलाड़ियों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिससे एक “भेदभावपूर्ण व्यवस्था” बन गई है।

यह याचिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर पहलवान और कई बार के डेफलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता व अर्जुन

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