छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि सरकारी पट्टे (लीज़) का नवीनीकरण कोई स्वचालित या निहित अधिकार नहीं है और पट्टे की शर्तों के उल्लंघन के आधार पर इसे अस्वीकार किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने ‘क्रिश्चियन वूमन्स बोर्ड ऑफ मिशन’ द्वारा दायर एक रिट अपील को खारिज कर दिया। इस निर्णय के साथ, खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें मिशन की पट्टा नवीनीकरण न करने और बिलासपुर स्थित भूमि से बेदखल करने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

न्यायालय [2025:CGHC:54533-DB] ने माना कि अपीलकर्ता अपना ‘लोकस स्टैंडी’ (मुकदमा दायर करने का अधिकार) स्थापित करने में विफल रहे और “पट्टे के उल्लंघन, वाणिज्यिक शोषण, बिक्री और सब-लेटिंग के स्वीकृत तथ्य” राज्य सरकार द्वारा पट्टे का नवीनीकरण करने

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