राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, एक पति के खिलाफ दायर आपराधिक और भरण-पोषण के मामलों को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश इस आधार पर दिया कि प्रतिवादी-पत्नी, जो स्थानीय अदालत में एक प्रैक्टिसिंग वकील है, ने अपनी स्थिति का “दुरुपयोग” किया, जिससे याचिकाकर्ता-पति कानूनी प्रतिनिधित्व से वंचित हो गया।

जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने माना कि स्थानीय बार एसोसिएशन पर प्रभाव के कारण कानूनी सहायता हासिल करने में असमर्थता, निष्पक्ष सुनवाई (fair trial) के मौलिक सिद्धांत से समझौता है।

अदालत ने एक आपराधिक मामले को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, सवाई माधोपुर से और एक भरण-पोषण के मामले को फैमिली कोर्ट, सवाई माधोपुर से जयपुर मेट्रोपॉलिटन की समकक्ष अदालतों में ट्रांसफर कर दिया है।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता-पति सवाई माधोपुर में अपनी पत्नी द्वारा दायर दो मामलों का सामना कर रहा है। पह

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