इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1996 के मोदीनगर-गाज़ियाबाद बस बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराए गए मोहम्मद इलियास की सज़ा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इलियास के ख़िलाफ़ आरोप साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने 10 नवंबर को पारित आदेश में कहा कि वे समाज को झकझोर देने वाले इस “आतंकी” हमले को देखते हुए “भारी मन” से बरी करने का आदेश दे रहे हैं, जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी।
अभियोजन का मुख्य आधार वह ऑडियो कैसेट था जिसमें कथित तौर पर इलियास का पुलिस की मौजूदगी में किया गया कबूलनामा रिकॉर्ड था। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने इस सामग्री पर भरोसा करके “गंभीर विधिक त्रुटि” की।
अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के तहत पुलिस अधिकारी के सामने किया गया कोई भी कबूलनामा स्वीकार्य

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