दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि आपातकालीन चिकित्सा स्थिति में, निर्धारित दरों (Fixed Rates) की कठोरता या अस्पताल का सरकारी पैनल में न होना, इलाज के पूरे खर्च की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) में बाधा नहीं बन सकता।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार (Union of India) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को कोविड-19 के आपातकालीन इलाज पर हुए पूरे खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि (Case Background)
यह मामला पर्यटन मंत्रालय के सेवानिवृत्त निजी सचिव और केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के लाभार्थी कमल किशोर से जुड़ा है। कोविड-19 महामारी के दौरान, 11 नवंबर 2020 को उन्हें गंभीर स्थिति में दिल्ली के

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