बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी जीवनसाथी द्वारा बार-बार आत्महत्या की धमकी देना मानसिक क्रूरता माना जाएगा। इसी आधार पर अदालत ने एक ऐसे पति को तलाक दे दिया जिसकी याचिका को परिवार अदालत ने 2019 में खारिज कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंकहेड की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह यह आदेश पारित किया, जिसकी प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई। अदालत ने कहा कि जब ऐसा व्यवहार दोहराया जाता है, तो दूसरे जीवनसाथी के लिए वैवाहिक संबंध को शांतिपूर्ण तरीके से निभाना असंभव हो जाता है।
याचिकाकर्ता की शादी 2006 में हुई थी। दंपती 2012 से वैवाहिक कलह के कारण अलग रह रहे हैं। पति ने तलाक के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत परित्याग, संदेह और आत्महत्या की धमकियों तथा प्रयास को आधार बनाया था।
परिवार अदालत ने 2019 में तलाक देने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ पति ने हाई कोर्ट का रुख किया।
खंडपीठ

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