सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 और 304A के तहत दोषी ठहराए गए एक अपीलकर्ता की सजा में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। शीर्ष अदालत ने कारावास की अवधि को संशोधित करते हुए इसे “न्यायालय के उठने तक” (Till Rising of the Court) की सजा में बदल दिया है, साथ ही पीड़ित के परिवार को दी जाने वाली जुर्माने की राशि में भारी वृद्धि की है।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अशरफ बनाम कर्नाटक राज्य (2025 INSC 1394) मामले में यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने दोषसिद्धि (conviction) को बरकरार रखा लेकिन “मामले के कुल तथ्यों और परिस्थितियों” को देखते हुए सजा की मात्रा में बदलाव किया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एक घातक सड़क दुर्घटना से जुड़ा है। अपीलकर्ता को चन्नरायपटना के तृतीय अतिरिक्त सिविल जज और न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) द्वारा दोषी ठहराया गया था। ट्राय

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