सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गंभीर सवाल उठाया कि देशभर में जंगलों, झीलों, संरक्षित क्षेत्रों और टाइगर रिजर्व से जुड़े सभी विवाद सीधे शीर्ष अदालत में क्यों लाए जा रहे हैं, वह भी 1995 से लंबित एक ही जनहित याचिका में अंतरिम आवेदन के रूप में, जबकि उच्च न्यायालयों के पास पूर्ण अधिकार क्षेत्र मौजूद है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने टिप्पणी की कि पर्यावरण और वनों से जुड़े सभी मुद्दों को अलग याचिकाओं की बजाय पुरानी In Re: T.N. Godavarman Thirumulpad याचिका में ही जोड़ दिया जा रहा है।
शुरुआत में ही, मुख्य न्यायाधीश ने पूछा—
“आखिर सभी वन से जुड़े मामले इस अदालत में ही क्यों आ रहे हैं?”
चंडीगढ़ की सुखना झील से जुड़े आवेदन पर सुनवाई के दौरान CJI ने टिप्पणी की कि यह मामला “किसी निजी डेवलपर्स आदि के कहने पर एक ‘फ्रेंडली मैच’ जैसा दिखता है।”
उन्होंने यह भी सवाल उठ

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