इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ खंडपीठ) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) के तहत जमानत अर्जी दाखिल करने के लिए पूर्व में नियुक्त वकील से ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (NOC) लेना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि NOC की मांग करना केवल एक ‘अच्छी प्रथा’ (Good Practice) है, लेकिन यह कानूनन बाध्यकारी नहीं है और न ही यह आरोपी के अपनी पसंद का वकील चुनने के मौलिक अधिकार को बाधित कर सकता है।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति अबधेष कुमार चौधरी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी दहेज हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही एक बुजुर्ग महिला, श्रीमती मनोरमा शुक्ला , को जमानत देते हुए की। अपीलकर्ता पिछले करीब 13 वर्षों से जेल में बंद थी।
NOC और वकालतनामा पर हाईकोर्ट का स्पष्टीकरण
इस मामले में एक प्रक्रियागत पेंच तब फंसा जब अपीलकर्ता की नई वकील, सुश्री ज्योति राजपूत ने

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