आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में, एक सिविल रिविज़न याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता के वकील पर मामले को तत्काल सूचीबद्ध कराने के लिए तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी ने फैसला सुनाया कि एक निष्पादन न्यायालय द्वारा किसी पक्ष को पेश होने और आपत्तियां दर्ज करने के लिए भेजा गया नोटिस सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 115 के तहत ‘तय मामला’ नहीं है और गलत बयानों के आधार पर याचिका दायर करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
यह अदालत 2002 के एक सिविल मुकदमे में निर्णीत-ऋणी पिल्ला वेंकटेश्वर राव द्वारा दायर एक सिविल रिविज़न याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विजयवाड़ा के प्रधान वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश द्वारा जारी एक नोटिस को चुनौती दी गई थी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला कंचेरला मलयाद्री द्वारा पिल्ला वें