मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने पति और उसके दो बेटों द्वारा दायर की गई आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पति और बेटों को अलग रह रही पत्नी को 21,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। मामले की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने इस बात पर जोर दिया कि पति और बच्चों का अपनी पत्नी और माँ का समर्थन करना एक कानूनी और नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि भरण-पोषण का प्रावधान निराश्रित महिलाओं को बेसहारा होने से बचाने और उन्हें कुछ राहत प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब हाईकोर्ट पहुँचा जब पति और उसके दो बेटों ने मदुरै की फैमिली कोर्ट द्वारा 18 मार्च, 2025 को दिए गए एक आदेश को चुनौती दी। पति और पत्नी का विवाह 7 जनवरी, 1986 को हुआ था।
मामले के रिकॉर्ड के अनुसार, पत्नी ने 2015