छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक श्मशान घाट की “दयनीय स्थिति” पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणी के बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका शुरू की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण मृत्यु के मौलिक अधिकार में एक शांत वातावरण में सम्मानजनक दाह संस्कार का अधिकार भी शामिल है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ राज्य को सभी श्मशान घाटों की स्थिति में तत्काल और दीर्घकालिक सुधार के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

यह मामला तब एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया गया जब मुख्य न्यायाधीश ने रांगी ग्राम पंचायत के मुक्तिधाम (श्मशान घाट) में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान वहां न्यूनतम सुविधाओं का भी अभाव पाया। न्यायालय ने मुख्य सचिव सहित राज्य के शीर्ष अधिकारियों को श्मशान घाटों की बेहतरी

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