इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी पत्नी को केवल इस काल्पनिक आधार पर दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसकी शादी शून्यकरणीय (voidable) है। न्यायमूर्ति राजीव लोचन शुक्ला ने प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, चंदौली के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के तर्क को “विकृत और स्पष्ट रूप से अवैध” करार दिया और मामले को पत्नी के दावे पर नए सिरे से निर्णय के लिए वापस भेज दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एक पत्नी द्वारा 2 नवंबर, 2017 के एक फैसले के खिलाफ दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट पहुंचा था। परिवार न्यायालय, चंदौली ने Cr.P.C. की धारा 125 के तहत उसके पति के खिलाफ व्यक्तिगत गुजारा भत्ते के दावे को खारिज कर