सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच का निर्देश देना एक असाधारण शक्ति है जिसका प्रयोग संयम से और अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिए, न कि केवल “संदेह” या “धारणा” के आधार पर। न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश विधान परिषद सचिवालय में विभिन्न पदों की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक CBI जांच का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा दायर की गई अपीलों को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के उस निर्देश को रद्द कर दिया जिसमें स्वतः संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दर्ज करने और मामले को CBI को सौंपने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गुण-दोष के आधार पर वि

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