सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने 28 अक्टूबर, 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में, राज्य चुनाव आयोग द्वारा दायर एक विविध आवेदन (Miscellaneous Application) को स्वीकार कर लिया। इस फैसले के ज़रिए, कोर्ट ने एक वकील के आचरण के संबंध में की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को और 2,00,000 रुपये की लागत को माफ कर दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने वकील द्वारा दी गई “बिना शर्त माफी” (unqualified and unconditional apology) को स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वकीलों को अपने मुवक्किल (client) और कोर्ट के प्रति अपने कर्तव्य के बीच एक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।
यह फैसला एम.ए. संख्या 1901/2025 में दिया गया, जो एसएलपी (सिविल) संख्या 27946/2025 से उत्पन्न हुआ था।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एसएलपी (सिविल) संख्या 27946/2025 से शुरू हुआ था, जहाँ उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट के एक

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