छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए यह स्पष्ट किया है कि डीएनए और फिंगरप्रिंट जैसे वैज्ञानिक सबूत, जब अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से पुष्ट होते हैं, तो वे ‘पूरी और अटूट श्रृंखला’ का निर्माण करते हैं, जो संदेह से परे अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने सुरेश सरकार @ छोटू द्वारा दायर अपील (CRA No. 1584 of 2022) को खारिज कर दिया और 2019 में हुई हत्या के लिए उसकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट का यह फैसला साक्ष्यों की इसी मजबूत श्रृंखला पर टिका था।
यह अपील दक्षिण बस्तर, दंतेवाड़ा के स्पेशल जज द्वारा 16.09.2022 को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें अपीलकर्ता को कांस्टेबल राम निवास मरकाम की हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया था।
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