छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की की हत्या के दोषी व्यक्ति की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि एक ट्रायल कोर्ट यौन उत्पीड़न के “पुख्ता सबूतों” (overwhelming evidence) को नजरअंदाज करके आरोपी को केवल हत्या के लिए दोषी नहीं ठहरा सकता।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा कि एक फैसले में “सबूतों द्वारा स्थापित सभी अपराधों के लिए दोषसिद्धि दर्ज” की जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में बलात्कार और पॉक्सो (POCSO) के आरोपों पर दोषी न ठहराना “सबूतों की स्पष्ट गलत व्याख्या” (misappreciation of the evidence) को दर्शाता है।

अदालत ने यह टिप्पणी एक आपराधिक अपील (CRA No. 143 of 2025) को खारिज करते हुए की। इस अपील में, अपीलकर्ता की 2022 में हुई एक 12 वर्षीय लड़की की हत्या (धारा 302, IPC) और सबूत नष्ट करने (धारा 20

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