मध्यस्थता कानून (arbitration law) पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्प लिमिटेड (आईआरसीटीसी) द्वारा दायर अपीलों को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने उस मध्यस्थता निर्णय (arbitral award) को रद्द कर दिया, जिसमें रेलवे कैटरर्स को करोड़ों रुपये के दावों की मंजूरी दी गई थी।

न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने माना कि मध्यस्थ का निर्णय “स्पष्ट रूप से अवैध” (patently illegal) और “भारत की सार्वजनिक नीति के खिलाफ” (in conflict with the public policy of India) था। कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थ ने रेलवे बोर्ड द्वारा जारी “बाध्यकारी नीति परिपत्रों” (binding policy circulars) की अनदेखी करके “व्यावहारिक रूप से अनुबंध को फिर से लिख दिया” (practically rewrote the contract) था।

यह विवाद राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों मे

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