सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई बिक्री समझौता (Agreement to Sell – ATS) “प्रकृति में निर्धारणीय” (in its nature determinable) नहीं है, तो उस समझौते की एकतरफा समाप्ति को विशेष रूप से चुनौती दिए बिना भी ‘विशिष्ट निष्पादन’ (Specific Performance) के लिए मुकदमा दायर किया जा सकता है।

के.एस. मंजुनाथ एवं अन्य बनाम मूरसवीरप्पा मुत्तन्ना चेन्नप्पा बाटिला (मृत) एवं अन्य मामले में फैसला सुनाते हुए, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने संपत्ति के बाद के खरीदारों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने मूल खरीदारों के पक्ष में विशिष्ट निष्पादन का निर्देश देने वाले हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि बाद के खरीदारों को पिछले समझौते की स्पष्ट जानकारी (नोटिस) थी, इसलिए उन्हें विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963 की धारा 19(b

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