सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के एक हत्या के मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से दर्ज की जाने वाली गवाही के संबंध में सभी निचली अदालतों के लिए महत्वपूर्ण और बाध्यकारी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने मुकदमे की “निष्पक्षता और अखंडता” सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज कुमार @ भीमा बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार मामले की सुनवाई करते हुए एक “प्रक्रियात्मक अनियमितता” को संबोधित किया। यह अनियमितता तब उत्पन्न हुई जब विदेश से गवाही दे रही एक गवाह से उसके पिछले लिखित बयान के आधार पर ठीक से जिरह (cross-examination) नहीं की जा सकी।
इस तरह के पूर्वाग्रह को रोकने के लिए, अदालत ने अनिवार्य किया है कि निचली अदालतें यह “सुनिश्चित करेंगी” कि गवाह से जिरह के दौरान सामना कराने से पहले, संबंधित दस्तावेज़ों, जैसे

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