भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर, 2025 के एक फैसले में, एक एफआईआर (FIR) को पूरी तरह से रद्द कर दिया, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 310(2) (डकैती) [भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 395 के अनुरूप] के तहत आरोप भी शामिल थे।
कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसने अभियुक्तों और शिकायतकर्ता के बीच एक सौहार्दपूर्ण समझौते के बावजूद डकैती के आरोप को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने माना कि चोरी, और परिणामस्वरूप लूट या डकैती, के लिए आवश्यक “बेईमानी का इरादा” (dishonest intention) का “मूलभूत तत्व” इस मामले में अनुपस्थित था। कोर्ट ने पाया कि बाद में “पूरी तरह से बहाली और सौहार्दपूर्ण समझौते” ने इस आरोप को और भी कमजोर कर दिया।
यह अपील,

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