इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दो विशेष अपीलों के एक बैच को खारिज करते हुए यह माना है कि एक वादी को उन मुद्दों पर बार-बार मुकदमा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णायक रूप से तय किए जा चुके हैं और बाद में मुकदमेबाजी के कई दौरों में उनकी पुष्टि हो चुकी है।

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने एक एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा। खंडपीठ ने ‘आन्वयिक पुनः न्याय’ (constructive res-judicata) और “हेंडरसन सिद्धांत” (Henderson Principle) के सिद्धांतों का आह्वान करते हुए कहा कि अपीलकर्ता को नई रिट याचिकाओं में ऐसे दावे करने से वर्जित किया जाता है, जिन्हें पिछली कार्यवाही में “उठाया जा सकता था और उठाया जाना चाहिए था।”

न्यायालय ने अपीलकर्ता अमर नाथ द्विवेदी द्वारा दायर विशेष अपील संख्या 496 (2023) और विशेष अपील (त्रुटिपूर्ण)

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