मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने करियर में स्थापित होने के लिए शादी को कुछ समय के लिए टालने का अनुरोध करता है, तो इसे “धोखाधड़ी” या “शादी का झूठा वादा” नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने शादी के बहाने धोखाधड़ी करने के आरोप में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की सजा को रद्द करते हुए उसे बरी कर दिया।
अब्दुल रियाजुद्दीन बनाम पुलिस इंस्पेक्टर (Crl.A.No.73 of 2018) के मामले में, जस्टिस एम. निर्मल कुमार की एकल पीठ ने अपीलकर्ता की याचिका को स्वीकार कर लिया। इससे पहले, सत्र न्यायाधीश, महिला न्यायालय, चेन्नई ने अपीलकर्ता को बलात्कार (धारा 376 आईपीसी) के आरोपों से तो बरी कर दिया था, लेकिन धोखाधड़ी (धारा 417 आईपीसी) के तहत दोषी ठहराते हुए छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष धोखाधड़ी के तत्वों को साबित करने म

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