कानूनी पेशे की गवर्निंग बॉडीज में लैंगिक असमानता को खत्म करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि सभी राज्य बार काउंसिल्स (State Bar Councils) में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण “गैर-परक्राम्य” (non-negotiable) है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जहां चुनाव प्रक्रिया के कारण सीधे चुनाव संभव नहीं हैं, वहां ‘को-ऑप्शन’ (co-option) के जरिए इस अनिवार्य कोटे को पूरा किया जाए।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने जोर देकर कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश भर के प्रत्येक स्टेट बार काउंसिल में कुल सीटों का कम से कम 30 प्रतिशत हिस्सा महिला वकीलों के पास हो।

चल रहे चुनावों के बीच कैसे लागू होगा फैसला?

कोर्ट ने उन राज्यों में आने वाली व्यावहारिक दिक्कतों का भी समाधान किया जहां चुनाव

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