केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (Industrial Relations Code, 2020) के तहत सभी लंबित और भावी मामलों की सुनवाई फिलहाल मौजूदा लेबर कोर्ट, औद्योगिक ट्रिब्यूनल और राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल ही करते रहेंगे, जब तक कि नए न्यायाधिकरणों का गठन नहीं हो जाता।
यह बयान मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष उस समय दिया गया जब अदालत ने इस बात पर चिंता जताई थी कि सरकार ने बिना आवश्यक नियम बनाए और बिना नए ट्रिब्यूनल गठित किए ही संहिता को लागू कर दिया।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और स्थायी अधिवक्ता आशीष दीक्षित ने 8 दिसंबर की “रिमूवल ऑफ डिफिकल्टीज़” अधिसूचना का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना यह सुनिश्चित करने के लिए जारी की गई थी कि संहिता लागू होने के बाद विवाद निपटान की

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