सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 436-A की प्रयोज्यता और अनुच्छेद 21 के तहत जमानत के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है, विशेष रूप से जघन्य अपराधों और उन मामलों में जहां सबूत का भार (Reverse Burden of Proof) आरोपी पर होता है।

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि धारा 436-A CrPC उन अपराधों पर लागू नहीं होती है जिनमें मृत्युदंड एक निर्दिष्ट सजा है। हालांकि, अनुच्छेद 21 के तहत विचाराधीन कैदियों (Undertrials) के अधिकारों पर जोर देते हुए, कोर्ट ने 2010 के ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस दुर्घटना मामले में आरोपियों को दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इसके लिए उनकी 12 साल से अधिक की कैद और मुकदमे की “अत्यंत धीमी गति” (Glacial pace) का हवाला दिया।

इसके अलावा, कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम

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