सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह Rights of Persons with Disabilities Act में संशोधन पर विचार करे ताकि उन एसिड अटैक पीड़ितों को भी दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया जा सके जिनकी आंतों और अन्य आंतरिक अंगों को गहरी क्षति तब पहुंचती है जब अपराधी उन्हें जबरन एसिड पिलाते हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे “निर्दयी” और अमानवीय अपराधों के पीड़ितों को कानून के तहत राहत और कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिलना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ शाहीन मलिक द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मलिक स्वयं एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं और उन्होंने मांग की है कि कानून में दिव्यांगता की परिभाषा को इस तरह बढ़ाया जाए कि एसिड जबरन पिलाए जाने के मामलों में होने वाली गंभीर आंतरिक क्षति को भी मान्यता मिले।
पीठ ने इससे पहले 4 दिसंबर को सभी उच्च न्यायाल

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