दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक कानून पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए तलाक की एक डिक्री को बरकरार रखा है। कोर्ट ने माना कि पत्नी द्वारा लंबे समय तक और अनुचित रूप से शारीरिक अंतरंगता से इनकार करना, बच्चे को जानबूझकर पिता से दूर करना, वृद्ध ससुराल वालों के प्रति उदासीनता और तलाक की कार्यवाही शुरू होने के बाद “जवाबी कार्रवाई” के रूप में कई आपराधिक शिकायतें दर्ज करना, ये सभी সম্মিলিত रूप से हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आते हैं।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने पत्नी द्वारा दायर एक अपील को खारिज कर दिया। इस अपील में प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, तीस हजारी द्वारा 30.09.2021 को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें पति को अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
दोनो