सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें 221 दिन की देरी से दायर की गई लैटर्स पेटेंट अपील (LPA) को समयबद्ध न होने के कारण खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने देरी को माफ करते हुए कहा कि “सार्वजनिक हित की कीमत पर न्याय का बलिदान नहीं किया जा सकता,” लेकिन शर्त रखी कि राज्य सरकार अपीलकर्ता को ₹1,00,000 लागत का भुगतान करेगी।
प्रकरण की पृष्ठभूमि
राज्य सरकार ने 28 अक्टूबर 2024 को पारित झारखंड हाईकोर्ट के आदेश (I.A. No.9029/2024 in LPA No.6893/2024) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 221 दिन की देरी को अस्वीकार करते हुए कहा था कि अपीलकर्ताओं ने “बेहद सुस्त रवैया” अपनाया और लापरवाही दिखाई, जिसके चलते अपील को समयबद्ध न मानते हुए खारिज कर दिया गया था।
कानूनी आधार और तर्क
राज्य ने देरी माफी के लिए सीम