मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (एनआई एक्ट) की धारा 138 के तहत अपराध का शमन (compounding) किसी भी स्तर पर किया जा सकता है, यहां तक कि एक पुनरीक्षण कार्यवाही (revision proceeding) के दौरान भी, भले ही दोषसिद्धि को अपीलीय अदालत ने बरकरार रखा हो। न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने फैसला सुनाया कि एनआई एक्ट की धारा 147, एक विशेष प्रावधान होने के नाते, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) में अपराधों के शमन के लिए निहित सामान्य प्रावधानों पर एक अधिभावी प्रभाव (overriding effect) रखती है। इसके परिणामस्वरूप, अदालत ने पक्षकारों के बीच समझौता हो जाने के बाद एक याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला पेरैयूर के जिला मुंसिफ सह न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा एस.टी.सी. संख्या 643/2016 में दिए गए एक फैसले स

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